टेलीफोन डायरेक्ट्री पर गोपनीयता नहीं
रक्षित सिंह
नई दिल्ली। नाम-पते और टेलीफोन नंबर साझा करने वाली टेलीफोन डायरेक्ट्री को गोपनीयता के अधिकार (राइट टू प्राइवेसी) से बाहर रखा जाएगा। इस संबंध में डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (डॉट) ने डिपार्टमेंट ऑफ पसर्नल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) को अपने मत से अवगत करा दिया है।
डीओपीटी ने डॉट से गोपनीयता के अधिकार पर विभाग के सुझाव मांगे थे। सुझाव में डॉट ने टेलीफोन डायरेक्ट्री को इससे बाहर रखने की सिफारिश की है।
डॉट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मई 2013 के अंत में डॉट ने अपनी सिफारिशें डीओपीटी को भेज दी है। अधिकारी के अनुसार धारा 51 के तहत अवैध रूप से कॉल इंटरसेप्ट करने के जुर्माने को एक लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये करने की सिफारिश की गई है। अवांछित कम्युनिकेशन के लिए हर कॉल पर 20,000 रुपये के जुर्माने की भी डॉट ने सिफारिश की है।
इसके तहत अगर कोई व्यक्ति या कंपनी किसी मोबाइल ग्राहक की इजाजत के बिना उसे कॉल करता है तो उसे हर कॉल के लिए 20,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। वहीं, टेलीफोन डायरेक्ट्री के संबंध में डॉट ने सिफारिश की है कि इसे गोपनीयता के अधिकार से बाहर रखा जाए।
डॉट ने कहा है कि टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियां और अधिकृत एजेंसियां समय-समय पर टेलीफोन डायरेक्ट्री छापती हैं। इसमें ग्राहकों से जुड़ा उनका व्यक्तिगत ब्यौरा जैसे नाम,नंबर, पता आदि होता है। लिहाजा, टेलीफोन डायरेक्ट्री को गोपनीयता के अधिकार से बाहर रखा जाए जिससे इससे व्यक्ति-विशेष की गोपनीयता का हनन ना माना जाए।
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•डॉट ने टेलीफोन डायरेक्ट्री को राइट टू प्राइवेसी से बाहर रखने की सिफारिश की
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