देश के चारों दिशाओं से आये भक्त केदारनाथ के जिन पेटियों में अपनी झोलियाँ और बटुवे पुरे का पूरा उलटा करके झाड़ दिया करते थे... आज वो पेटियां बाढ़ में छटपटाते इन भक्तों के लिए कहीं से भी नहीं खुल रही हैं! उपरवाले के नाम पर अपनी पेट और पेटियां भरने वालों ने इन भक्तों को भगवान और सरकार के भरोसे छोड़ दिया है! उल्टे इन बाढ़-पीड़ितों के लिए देश की गलियों में घूम-घूम पुराने कपड़े-लत्ते वही इकट्ठे कर रहे हैं... जो उत्तरखंड सिर्फ झरने और पहाड़ देखने जाते थे!
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