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केंद्र सरकार को हाईकोर्ट का निर्देश
यूपीएससी में हिन्दी पर तीन माह में बने कमेटी
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा में अंग्रेजी के अतिरिक्त हिंदी भाषा को शामिल करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर केंद्र सरकार को एक विशेष कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। कमेटी का गठन तीन माह के भीतर करने को कहा गया है।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निर्देश में कहा कि कमेटी याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार कर अपना निर्णय देगी। अदालत ने याची को भी अपना पक्ष कमेटी के समक्ष रखने का निर्देश देते हुए कहा कि इसके बाद प्रारंभिक परीक्षा में हिंदी भाषा को शामिल करने के संबंध में कमेटी यूपीएससी के अधिकारियों से सलाह कर नौ माह में अपना निर्णय दे। अदालत ने कहा कि कमेटी यह भी स्पष्ट करेगी कि प्रारंभिक परीक्षा में अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करने का उद्देश्य क्या है? कमेटी उचित कारणों के साथ रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करेगी।
यह याचिका दीनानाथ बत्रा नामक व्यक्ति ने वरिष्ठ अधिवक्ता बीएस शुक्ला के माध्यम से दायर की है। याचिकाकर्ता का कहना था कि यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा अंग्रेजी भाषा में ली जाती है और यह परीक्षा पास करने के बाद ही प्रतियोगी मुख्य परीक्षा में शामिल हो सकता है। प्रारंभिक परीक्षा में हिंदी व अन्य भाषाओं के विकल्प न होने से इन भाषाओं का अपमान हो रहा है।
उन्होंने तर्क रखा कि राष्ट्रपति ने 27 अप्रैल 1960 को एक आदेश जारी किया था कि केंद्र के अधीन सभी कार्यालयों में हिंदी भाषा का प्रयोग कार्य में और स्थानीय भाषा का प्रयोग जनसंपर्क में किया जाएगा। संसद में भी 18 जनवरी 1968 को प्रस्ताव पास हो चुका है। इसके बावजूद यूपीएससी जैसी परीक्षा में हिंदी भाषा का विकल्प न होना चिंता का विषय है।
नौ माह के भीतर रिपोर्ट देगी समिति
अंग्रेेजी के इस्तेमाल का उद्देश्य भी बताएगी

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