पार्टियों को देना होगा चंदे का ब्योरा
केंद्रीय सूचना आयोग ने ऐतिहासिक फैसले में कहा, आरटीआई एक्ट के दायरे में हैं राजनीतिक दल
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अमर उजाला ब्यूरो
नई
दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग ने राजनीति में पारदर्शिता लाने की राह
प्रशस्त करते हुए ऐतिहासिक फैसला दिया है। सीआईसी ने कहा है कि राजनीतिक दल
आरटीआई एक्ट के दायरे में आते हैं। आयोग के अध्यक्ष मुख्य सूचना आयुक्त
सत्येंद्र मिश्रा की फुल बेंच ने कांग्रेस, भाजपा, माकपा, भाकपा, एनसीपी और
बसपा को आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं का जवाब देने का निर्देश देते हुए
कहा है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण आरटीआई एक्ट के दायरे में हैं।
केंद्रीय सूचना आयोग के इस अहम फैसले के बाद तमाम राजनीतिक दलों का पर्दे
के पीछे होने वाला चंदे का खेल गड़बड़ा सकता है। इसके तहत इन दलों को चंदे
के लेन-देन के ब्योरे को सार्वजनिक करना होगा।
केंद्रीय
सूचना आयोग की व्यवस्था के मुताबिक राजनीतिक दल सूचना के अधिकार के तहत
जवाबदेह हैं। सीआईसी की फुल बेंच ने राजनीतिक दलों के अध्यक्षों, महासचिवों
को छह हफ्तों के भीतर मुख्य जनसूचना अधिकारियों (सीपीआईओ) की नियुक्ति
करने और अपीलीय प्राधिकरण पार्टी मुख्यालयों में स्थापित करने का निर्देश
दिया है। साथ ही नियुक्ति के बाद सीपीआईओ को आरटीआई आवेदनों पर चार हफ्ते
में जवाब देने को कहा गया है। बेंच ने यह निर्देश भी दिया है कि आरटीआई
एक्ट के तहत आने वाले सभी अनिवार्य प्रावधानों का अनुपालन दलों की ओर से
करते हुए मांगी गई सूचनाओं के बदले स्पष्ट जवाब दिया जाए। इन प्रावधानों के
तहत सूचनाओं का खुलासा वेबसाइट पर विस्तृत तौर पर किया जाए। आयोग ने यह
निर्देश आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल और अनिल बैरवाल की ओर से
राजनीतिक दलों से मांगी गई सूचनाओं के संबंध में दिए हैं। एसोसिएशन ऑफ
डेमोक्रेटिक रिफार्म्स की ओर से अग्रवाल और बैरवाल ने छह राजनीतिक दलों से
उनके चंदे और वित्तीय लेन-देन के संबंध में जानकारी मांगी थी।
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•सीआईसी की फुल बेंच ने छह पार्टियों को मांगी गई सूचनाओं का जवाब देने का दिया निर्देश
•सीपीआईओ नियुक्त करने और मुख्यालय में अपीलीय प्राधिकरण बनाने को भी कहा
सार्वजनिक प्राधिकरण हैं दल ः बेंच
बेंच
ने कहा कि दलों को आयकर छूट के साथ-साथ रेडियो, दूरदर्शन में फ्री एयर
टाइम मिलता है। ऐसे में अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार की ओर से उन्हें असल में
वित्तीय सहायता मिलती है। इस प्रकार ये दल भी सार्वजनिक प्राधिकरण हैं।
राजनीतिक
दल प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लोगों के जीवन को काफी हद तक प्रभावित करते
हैं। ये दल लगातार सार्वजनिक कर्तव्यों का भी निर्वाह कर रहे हैं। ऐसे में
इनका जनता के प्रति जवाबदेह होना भी महत्वपूर्ण है।
यह
तर्क देना बेहद अजीब होगा कि पारदर्शिता सरकार के सभी अंगों के लिए तो
अच्छी है, लेकिन यह राजनीतिक दलों के लिए अच्छी नहीं है। जबकि यही राजनीतिक
दल सरकार के सभी महत्वपूर्ण अंगों का नियंत्रण करते हैं।
हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि राजनीतिक दल आरटीआई एक्ट की धारा 2 (एच) के तहत सार्वजनिक प्राधिकार हैं।
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